महासुदर्शन महाविष्णु चक्रास्त्र स्तोत्र
॥श्री गणेशाय नमः ॥
विनियोग:-ॐ अस्य श्री सुदर्शन चक्रास्त्र मंत्रस्य अघोर ऋषिः अनुष्टुपछन्दः सुदर्शन देवता ॐ अ बीजं हूँ शक्तिः फट् कीलकं सर्वोपद्रव नाशनार्थे जपे विनियोगः ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि पूर्व दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि अग्नि दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि दक्षिण दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि नैर्ऋत्य दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि पश्चिम दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि वायव्य दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि उत्तर दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि ईशान दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि ऊर्ध्व दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि अंतरिक्ष दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऐहि ऐहि अधो दिशायां बंधय बंधय हुं फट् स्वाहा।
अंगन्यास
ॐ आचकाय हृदयाय नमः ।
ॐ विचक्राय शिरसे स्वाहा ।
ॐ सुचक्राय शिखायै वषट्।
ॐ असुरान्तक चक्राय कवचाय हुँ।
ॐ सर्वलोक रक्षक चक्राय नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ॐ सुदर्शन चक्राय अस्त्राय फट् ।
करन्यास
ॐ आचक्राय अंगुष्ठाभ्यां नमः ।
ॐ विचक्राय तर्जनीभ्यां नमः ।
ॐ सुचक्राय मध्यमाभ्यां नमः ।
ॐ असुरान्तक चक्राय अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ सर्वलोक रक्षक चक्राय कनिष्ठिकाभ्यां नमः ।
ॐ सुदर्शन चक्राय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः ।
श्रीविष्णु ध्यान
ॐ नमो पुरूषोत्तमाय अव्यक्त महापुरुषाय।
ॐ नमो वासुदेवाय नमः संकर्षणाय च॥
प्रद्युम्नायादिदेवायानिरुद्धाय नमो नमः ।
नमो नारायणायैव नराणां पतये नमः ॥
नरपूज्याय कीर्त्याय स्तुत्याय वरदाय च।
अनादिनिधनायैव पुराणाय नमो नमः ॥
सृष्टिसंहारकर्त्रे च ब्रह्मणः पतये नमः ।
नमो वै वेदवेद्याय शङ्खचक्रधराय च।।
कलिकल्मषहर्त्रे च सुरेशाय नमो नमः ।
संसारवृक्षच्छेत्रे च मायाभेत्रे नमो नमः ॥
बहुरूपाय तीर्थाय त्रिगुणायागुणाय च।
ब्रह्मविष्णवीशरूपाय मोक्षदाय नमो नमः ॥
मोक्षद्वाराव धर्माय निर्वाणाय नमो नमः |
सर्वकामप्रदायैव परब्रह्मस्वरूपिणे ।
संसारसागरे घोरे निमग्नं मां समुद्धर ।
त्वदन्यो नास्ति देवेश नास्ति त्राता जगत्प्रभो ॥
त्वामेव सर्वगं विष्णुं गतोऽहं शरणं ततः।
ज्ञानदीपप्रदानेन तमोमुक्तं प्रकाशय ॥
सुदर्शनचक्रस्तोत्र
नमः सुदर्शनायैव सहस्त्रादित्यवर्चसे।।
ज्वालामाला प्रदीप्ताय सहस्त्राराय चक्षुषे।
सर्वदुष्टविनाशाय सर्वपातकमर्दिने ।।
सुचक्राय विचक्राय सर्वमन्त्रविभेदिने ।
प्रसवित्रे जगद्धात्रे जगद्विध्वंसिने नमः ॥
पालनार्थाय लोकानां दुष्टासुरविनाशिने।
उग्राय चैव सौम्याय चण्डाय च नमो नमः ॥
नमश्चक्षुः स्वरूपाय संसारभयभेदिने।मायापञ्जरभेत्रे च शिवाय च नमो नमः॥
ग्रहातिग्रहरूपाय ग्रहाणां पतये नमः ।
कालाय मृत्यवे चैव भीमाय च नमो नमः॥
भक्तानुग्रहदात्रे च भक्तगोप्त्रे नमो नमः ।
विष्णुरूपाय शान्ताय चायुधानां धराय च ॥
विष्णुशास्त्राय चक्राय नमो भूयो नमो नमः ।
इति स्तोत्रं महत्पुण्यं चक्रस्य तव कीर्तितम् ॥
यः पठेत् परया भक्तया विष्णुलोकं स गच्छति ।
चक्र पूजाविधिं यश्च पठेद्रुद्र जितेन्द्रियः।
स पापं भस्मसात्कृत्वा विष्णुलोकाय कल्पते ॥
महासुदर्शन चक्रास्त्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय भो भो सुदर्शन चक्र धारणाय मम सर्वान् विघ्नान् नाशय- नाशय ह्रां ह्रीं ह्रूं हैं ह्रौं ह्रः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महाअस्त्र राजाय प्रचण्ड सम्मोहनाय सदा मां रक्ष रक्ष सम हृदये सुस्थिरो भव वर प्रदो भव साक्षात्कार सिद्धि प्रदो भव चर्म चक्षुष्क दर्शन प्रदो भव चतुःषष्टि विद्याप्रवीणां कुरु कुरु क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महागरुड़ दूं स्वरूपाय मम शरीरे अमृतं वर्षा कुरु कुरु रां रीं रूं रैं रौं रः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महामंत्र स्वरूपाय मम समस्त शत्रून् मारय मारय काटय काटय छेदय छेदय पाशय पाशय भंजय भंजय उन्मूलय उन्मूलय घातय घातय कम्पय कम्पय भक्षय भक्षय त्रां त्रीं त्रूं त्रैं त्रौं त्रः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय आदित्य स्वरूपाय मम जन्मांगे स्थित समस्त क्रूर ग्रह बाधा उच्चाटय उच्चाटय शांतय शांतय टां टीं टूं टैं टौं ट: हुं फट स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महाअस्त्र स्वरूपाय स्वतंत्र स्वमंत्र स्वयंत्र स्वज्ञान प्रकाशय प्रकाशय गुप्तज्ञान उद्घाटय उद्घाटय परतंत्र परमंत्र परयंत्र नाशय नाशय ग्लां ग्लीं ग्लूं ग्लैं ग्लौं ग्लः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महाबल पराक्रमाय महावीर स्वरूपाय सर्व सिद्धिं कुरु कुरु स्त्रां स्त्रीं स्त्रूं स्त्रैं स्त्रौं स्त्र: हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महाअघोर अस्त्राय नरसिंह शक्ति युक्ताय त्रिभुवनाधीश्वराय तंत्र- क्षेत्राधिपतये मारण मोहन उच्चाटन आकर्षण वश्यं सम्मोहन विद्या सहित सर्व तंत्र सिद्धिं कुरु कुरु क्रां क्री क्रूं क्रैं क्रौं क्र: हुं फट स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय विष्णु दूताय देव रक्षकाय मम शरीरे सर्वान रोगान नाशय नाशय भ्रा भ्रीं भ्रूं भ्रैं भ्रौं भ्र: हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय परमहंस स्वरूपाय स्वर्ण वर्णाय सर्व शांति कुरु कुरु स्वस्तिं कुरु कुरु पुष्टिं कुरु कुरु श्रियं देहि देहि यशो देहि देहि आयुर्देहि देहि आरोग्यं देहि देहि पुत्र पौत्रान् देहि देहि सर्व कामांश्च देहि देहि लां लीं लूं लैं लौं लः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय अनंत कोटि कांति युक्ताय पंचाग्नि मयाय महालक्ष्मी प्रियाय परराष्ट्र गजाश्वं रथ सैन्य शस्त्रास्त्र बलं स्तम्भय स्तम्भय उच्चाटय उच्चाटय मारय मारय खादय खादय विदारय विदारय भीषय भीषय कम्पय कम्पय भक्षय भक्षय त्वरित त्वरित बन्धय बन्धय प्रमुख प्रमुख स्फुट स्फुट डां डीं डूं डै डौं डः हुं फट् स्वाहा॥
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय नारायण भक्ताय भीषण अग्नि युक्ताय ज्वल ज्वल ज्वाला स्वरूपाय मम सर्व दुःखं हर हर दारिद्र निवारय निवारय यर्श देहि यौवन देहि धनं देहि राज्यं देहि पां पीं पूं पैं पौं पः हुं फट् स्वाहा ॥
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महाभव निवारणाय अघोर भैरवाय वैष्णव प्रियाय नम जन्मांगे स्थित देव ग्रह योनि ग्रह दैत्य ग्रह दानव ग्रह राक्षस ग्रह ग्रहा राक्षस ग्रह सिद्ध ग्रह यक्ष ग्रह विद्याधर ग्रह किन्नर ग्रह गन्धर्व ग्रह अप्सरा ग्रह भूत ग्रह पिशाच ग्रह कुष्माण्ड ग्रह गजादि ग्रह पूतना ग्रह बाल ग्रह सूर्यादि नव ग्रह मुद्गल ग्रहपितृ ग्रह वेताल ग्रह शत्रु ग्रह राज ग्रह चौरवैरि ग्रह नेतृ ग्रह देवता ग्रह अधि ग्रह व्याधि ग्रह अपस्मारादि ग्रह पुर ग्रह उरंग ग्रह सरज ग्रह उक्त ग्रह डामर ग्रह उदक ग्रह अग्नि ग्रह आकाश ग्रह भू ग्रह वायु ग्रह शालि ग्रह धान्यादि ग्रह विषय ग्रह ग्रहानाति ग्रह घोर ग्रह छाया ग्रह सर्प ग्रह विष जीव ग्रह वृश्चिक ग्रह काल ग्रह शाल्य ग्रहादि सर्वान ग्रहान नाशय नाशय कालाग्नि रुद्र स्वरूपेण दह दह अनुनय अनुनय शोषय शोषय मुख्य मुख्य कम्पय कम्पय भक्षय भक्षय निमीलय निमीलय मर्दय मर्दय विद्रावय विद्रावय निधन निधन स्तम्भय स्तम्भय उच्चाटय उच्चाटय उष्टन्धय उष्टन्धय मारय मारय चण्ड चण्ड प्रचण्ड प्रचण्ड क्रोध क्रोध ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्ज्वल ज्वाला दित्य वदने उग्र ग्रस उग्र ग्रस विजृम्भय विजृम्भय घोषय घोषय मारय मारय हन हन ठां ठीं ठूं ठै ठौं ठः हुं फट् स्वाहा ॥
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महासम्मोहनाय विष्णु शक्ति युक्ताय महाअपराजित शस्त्राय सर्व क्षेत्रे विजयं देहि देहि शां शीं शूं शैं शौं शः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महाकाली आयुधाय कृष्णप्रियाय सर्वभूतमनाय सर्वादिशो बध्नामि महेश्वर पितामह 1 बध्नामि, गणेश बध्नामि कार्तिक बध्नामि दशदिकपालान बध्नामि, सर्वान असुरान 3 बध्नामि ब्रह्मास्त्रान् बध्नामि, अघोर बध्नामि, सर्वान् सुरान् बध्नामि, सर्वान् द्विजान् बध्नामि, केशरीं बध्नामि, सत्वान बनामि, व्याघ्रान बध्नामि, गजान बध्नामि, चीरान बध्नामि, शत्रून बध्नामि, महामारी बध्नामि, सर्वा यक्षिणी बध्नामि, आब्रह्म स्तम्भ पर्यंत सर्वान चराचर जीवान् बध्नामि, माया ज्वालिनि स्तम्भय स्तम्भव सर्व वादीन् मूकय मूकय, कीलय कीलय, गतिं स्तम्भय स्तम्भय, चौरादि सर्वान दुष्ट पुरुषान् बन्धय बन्धय, दिशा विदिशा रात्र्याकर्षण पाताल घ्राण भ्रूचक्षुः शिरः श्रोत्रे हस्तौ पादौ गतिं मतिं मुखं जिह्वां वाचां शब्द पञ्चाशत् कोटि योजन विस्तीर्णान् भू-ब्रह्माण्ड देवान् बध्नामि, मण्डलं बध्नामि, व्याधान् क्रमय क्रमय रक्ष रक्ष फ्रां फ्रीं फ्रूं फ्रैं फ़्राँ फ्रः हुं फट् स्वाहा॥
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय सर्व सुपूजिताय घोर घोराय प्रलय स्वरूपाय मम शरीरे कुण्डलिनी शक्तिं प्रकाशय प्रकाशय गां गीं गूं गैं गौं गः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय अनंत शक्ति युक्ताय अकाल मृत्यु नाशनाय भक्त वत्सलाय योग सिद्धिं देहि देहि छां छूीं छूं छैं छौं छ: हुँ फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय रुद्र स्वरूपाय उत्कृष्ट फल प्रदानाय सहस्त्र भुजाय वरं देहि देहि अभयं देहि देहि झां झीं झूं झैं झौं झ: हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय चिंतित मनोरथ पूर्णाय विष्णु सखाय मोक्षं कुरु कुरु धां धीं धूं धैं धौं धः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय असुरान्तकाय सर्व मंत्र स्वरूपाय परम योगेश्वराय त्वरित कार्य सिद्धि प्रदानाय खां खी्ं खूं खैं खौंं खः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय शत्रु वाक् स्तम्भनाय आत्म विरोधिणां शिरोललाट मुख नेत्र कर्ण नासिकोरु पाद रेणु दन्तोष्ठ जिह्वा तालु गुह्य गुदकटि सर्वांगेषु केशादि पाद पर्यन्तं स्तम्भय स्तम्भय मारय मारय घ्रां घ्रीं घ्रूं घ्रैं घौं घ्रः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय गोलोक मण्डल सुशोभिताय गारुड़ वारुण सार्प पर्वत वह्नि दैवत अघोर ब्रह्म रुद्र वज्रास्त्राणि भंजय भंजय निवारय निवारय तेषां मंत्र यंत्र तंत्राणि विध्वंसय विध्वंसय म्लां म्लीं ग्लूं म्लेंं म्लौं म्ल: हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय ऋषिगण रक्षकाय अमित पराक्रमाय पुराण पुरुषाय दिव्यलोक स्थिताय समस्त शस्त्र भंजनाय आयुष्मन्तं कुरु कुरु सततं मम हृदये चिन्तित मनोरथ सिद्धिं कुरु कुरु चिदानन्द कान्तकुरु चिदानन्दकालकृत वाकसिद्धिं देहि देहि अकाल मृत्यु विनाशनं कुरु कुरु अपमृत्यु निर्दलनं कुरु कुरु अकाल मृत्यु भय निवारय निवारय ममैव कर स्पर्शन नाना रोगान् नाशय नाशय सां सीं सूं सैं सौं सः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय महावैभव स्वरूपाय लोकरक्षकाय समस्त शाप दहनाय मम सर्व दुष्टान मर्दय मर्दय मारय मारय शोषय शोषय चण्डय चण्डय प्रचण्डय प्रचण्डय चलां चली चलूं चलें च्लौं चलः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय इन्द्र सखाय श्री हरि सेवकाय कल्प वृक्ष स्वरूपाय मम कर्म क्षेत्रे स्थित पितृ ऋण मातृ ऋण स्त्री ॠण पुत्र ऋण मित्र ऋण राज्य ऋण देव ऋण ग्रह ऋण पंचभूत इत्यादि समस्त ऋणान् उन्मूलय उन्मूलय द्रां द्रीं द्रूं द्रैं द्रौ द्र: हूं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय सूर्य स्वरूपाय व्योम केशाय यज्ञ स्वरूपाय मम सर्व दोष हारिणे सर्व विघ्न छेदिने सर्व पाप निकृन्तिने सर्वश्रृंखलात्रोटिने सर्वयंत्र स्फोटिने वां वीं वूं वैं वौं व: हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय नील हरित वर्णाय रत्न मुकुट सुशोभिताय सपरिवारम् मां रक्ष रक्ष क्षमस्वापराधं क्षमस्वापराधं नमस्ते नमस्ते थां थीं थूं थें थौं थः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय स्वर्ण कमलासन स्थिताय रक्त वर्णाय अभयं कुरु कुरु कृपां कुरु कुरु सिद्धिं कुरु कुरु ब्लां ब्लू ब्लें ब्लौं ब्लः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय सिंह स्वरूपाय गजोद्धारणाय मम शरीरे सर्वान् विषान् शोकान् हर हर प्लां प्लीं प्लूं प्लैं प्लौं प्लः हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय योगासन स्थिताय कृष्ण कला युक्ताय रस सिद्धिं देहि देहि क्लां क्लीं क्लूं क्लैं क्लौं क्ल: हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय पीताम्बर युक्ताय धर्म रक्षकाय मम समस्त प्रकट अप्रकट भयान नाशय नाशय यां यीं यूं यैं यौं यः हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते सुदर्शन चक्राय काल स्वरूपाय सोम सूर्याग्नि नेत्रमयाय दिव्य वर्णाय ऋषि निम्बार्क अवतार युक्ताय हरि भक्तिं देहि देहि हरि शक्तिं देहि देहि ब्रां ब्रीं बूं ब्रैं ब्रौं ब्रः हुं फट् स्वाहा ।
महासुदर्शन महाविष्णु चक्रास्त्र चक्रास्त्र माला मंत्र पठन के पश्चात् एक माला निम्नलिखित मंत्र की अवश्य जप करें।
मंत्र:- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रैलोक्यमोहनाय विष्णवे नमः।
ॐ श्रीं श्रीनिवासाय नमः।
श्री महासुदर्शनचक्रास्त्र सम्पूर्णम् ॥
(श्रीनारायण के सुदर्शन चक्र में ब्रह्माण्ड की सभी दिव्य शक्तियों का समायोजन है। अपने भक्तों की रक्षा के लिए भगवान का सुदर्शन चक्र सदैव तत्पर रहता है। महर्षि दुर्वासा ने परम वैष्णव भक्त अम्बरीश पर कृत्या चला दी परन्तु सुदर्शन चक्र ने कृत्या का भी सर्वनाश कर दिया और कुपित हो दुर्वासा जी के पीछे लग गये। दुर्वासा जी जिनसे कि सभी लोग थर-थर कांपते हैं अपनी प्राण रक्षा हेतु शिवलोक, देवीलोक, ब्रह्मलोक, देवलोक कहाँ- कहाँ नहीं गये पर उन्हें कहीं ठिकाना नहीं मिला, कहीं शरण नहीं मिली आखिरकार थक हारकर दुर्वासा श्रीहरि के चरणों में उपस्थित हुए वहाँ भी उन्हें शरण नहीं मिली तब जाकर श्री दुर्वासा ने अम्बरीश से प्रार्थना की एवं अम्बरीश की प्रार्थना पर सुदर्शन चक्र शांत हुए। निम्बार्क मुनि के रूप में श्री सुदर्शन चक्र ने पृथ्वी पर अवतार लिया एवं वैष्णव धर्म के विकास में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया। )
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