Breaking

शनिवार, 27 मई 2023

Guru Kaun Hota Hai

Guru Kaun Hota Hai 

Guru Kaun Hota Hai
Guru Kaun Hota Hai


गुरु एक खोजी होता है वैज्ञानिक होता है एक किसान होता है एक माली होता है एक शिल्पकार होता है 

गुरु दीक्षा के बाद कोई यू टर्न नही लगता क्योंकि तुम ईश्वर को साक्षी रख कर एक रिश्ता निभाते हो 

गुरु इस ब्रह्मांड का आखरी रिश्ता होता है जहा शिष्य अपना जीव और मनुष्य स्वभाव छोड़ कर परमात्मा के स्वभाव में आता है 

शिष्य के लिए गुरु बदलना आसान है पर गुरु के लिए शिष्य नही उस वैज्ञानिक से पूछो जो रिसर्च करता है प्रयोग करता है अपने जीवन का लक्ष्य उसने वो आविष्कार को बना लिया कितना समय बुद्धि मेहनत तर्क लगन गई 


एक किसान को पूछो हल चलाते चलाते उसके हाथ में छाले पड़ गए कड़ी धूप में बैल चलाया जमीन खोदी   बीज बोए पानी पिलाया 

एक शिल्प कार को पूछो मूर्ति बनाने में क्या समय जाता है और क्या मेहनत लगती है कितना ध्यान लगाना पड़ता है एक पत्थर को मूर्ति बनाने में 

एक माली को पूछो एक मटका कैसे बनता है माटी लाना चाक पर चढ़ाना मिट्टी गोदना पत्थर निकालना मटके को आकार देना उसे अंदर हाथ रख कर संभालना बाहर से पीटते जाना 

किसान की फसल प्रकृति ने बरबाद कर दी नुकसान किसका 

मूर्ति कार की मूर्ति खंडित हो गई तो नुकसान किसका 

वैज्ञानिक का फॉर्मूला फेल हो गया तो नुकसान किसका 

माली का मटका टूट गया तो नुकसान किसका 

सब लोग दुनिया को देने के लिए ही मेहनत कर रहे थे फिर भी वो हारते नही बार बार प्रयास कर कार्य सफल करते है 

गुरु न मिट्टी बदलता है न जमीन न पत्थर ना आविष्कार दुनिया का एकमात्र व्यक्ति होता है जो किसी भी हाल में अपने शिष्य के उद्धार के लिए बार बार जन्म लेता है क्योंकि गुरु के लिए जन्म मृत्यु एक खेल है 

गुरु अपने शिष्य को अपना संगी बनाते है उसे गुरु तत्व की कला सिखाते है कैसे गुरु ब्रह्मा हो कर सर्जन करता है कैसे विष्णु हो कर पालन कर सकते हो कैसे शिव हो कर अज्ञान का संहार कर सकते हो और कैसे परब्रह्म हो कर ईश्वर पैदा कर सकते हो इसी लिए जो गुरु तुम्हारे पास आया है वो साक्षाद परब्रह्म है 


गुरु की चिंता मात्र तुम्हारी मुक्ति से होती है युगों युगों से अबोध और अज्ञानी की तरह जीव भाव का वर्तन करके अपने आपको पशु बनाया हुआ है गुरु तुम में ब्रह्म की चेतना डाल कर ऊंची उड़ान लगवाते है पर संभाल कर जब तक आविष्कार पूर्ण न हो जाए खेत फसल न देने लगे मूर्ति मंदिर में पूजी न जाए तब तक रुकना मत क्योंकि शिष्य के लिए कुछ साल का खेल होता है पर गुरु का तो पूरा जीवन चला जाता है वो एक ढूंढने में गुरु तुम्हे चुनते हो तो फिर सज्ज हो जाना 

राम काज करी बेको आतुर

अपनी मन की एक जीवन में मत सुनना वो विद्रोह छेड़ेगा जब तुम शक्ति के करीब होंगे हर जगह से मन प्रकट हो कर तुम्हे सिद्धि से दूर कर देगा तुम्हे डटे रहना है गुरु आज्ञा में 


सच्चे गुरु के पास ही परीक्षा होगी मन की वरना मूर्ति में बैठा निराकार और व्यापारी गुरुओं को तुम्हारी घड़ाई से क्या मिलेगा 


कोहिनूर को तराशने की जरूरत नही होती वो खुद ब खुद दूसरे पत्थरों से चमकदार दिखेगा वैसे ही सतशिष्य 

दूसरे शिष्यो से अलग तैर आएगा

अपने शरीर में रहने वाले को गुरु के शरीर में रहने वाले को सौप दो कल्याण हो जायेगा 

इसे भी ब्रह्म निरूपण कहते है 

जय सदगुरुदेव

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें