आज का पंचांग
Aaj ka Panchang Date-14 May 2023
_दिन - रविवार
_विक्रम संवत - 2080_
_शक संवत - 1945_
_अयन - उत्तरायण_
_ऋतु - ग्रीष्म_
_मास - ज्येष्ठ_
_पक्ष- कृष्ण_
_तिथि - दशमी_
_नक्षत्र -शतभिषा 10:14 तक तदुपरांत पूर्वाभाद्रपद_
_योग- इन्द्र 06:33 तक तदुपरांत वैधृति_
_करण- वणिज 15:42 तक तदुपरांत विष्टिभद्र_
_दिशाशूल - पश्चिम, दक्षिण पश्चिम, यदि आवश्यक हो तो पान या घी खाकर यात्रा प्रारम्भ करें।_
_चन्द्र राशि- कुम्भ_
_सूर्य राशि- मेष_
_सूर्य नक्षत्र- कृत्तिका_
_चन्द्र नक्षत्र- शतभिषा 10:14 तक तदुपरांत पूर्वाभाद्रपद_
_सूर्योदय - 05:06_
_सूर्यास्त - 18:16_
_राहुकाल - 16:30-18:00_
_अभिजीतमुहूर्त - 11:15 - 12:08_
_शुभ रंग-नारंगी_
आज का चौघड़िया
_चर - 06:45 - 08:24_
_लाभ - 08:24 - 10:03_
_अमृत- 10:03 - 11:42_
_शुभ - 13:21 - 14:59_
_*ॐ सच्चिदानन्दरुपाय नमोऽस्तु परमात्मने।*_
_*ज्योतिर्मस्वरुपाय विश्वमाङ्गल्यमूर्तये।।*_
_*प्रकृतिः पञ्चभूतानि ग्रहाः लोकाः स्वरास्तथा।*_
_*दिशः कालश्च सर्वेषां सदा कुर्वन्तु मङ्गलम्।।*_
_*आज का विचार*:-हमारी सारी भावनाएं अनुभूतिजन्य है। शब्दों का इन्हें आवरण देकर अभिव्यक्त किया जाता है, परन्तु कई बार यह कोशिश बहुत अटपटी अधूरी होती है। बिना भाव के भक्ति क्या, जीवन में कुछ भी नहीं किया जा सकता है, कुछ भी पाया नहीं जा सकता है।भाव के बिना जीवन अधूरा है।भावनाओं का परिष्कृत रुप भक्ति है।भाव से ही सब कुछ प्राप्त होता है, भावना की दृढ़ता से ही देव दर्शन होते हैं, भावना से ही ज्ञान प्राप्त होता है।देवता का निवास तो भावों में ही होता है।
भाव के सम्बन्ध में इस श्लोक के माध्यम से बहुत अच्छी बात कही गयी है- *न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।भावे हि विद्यते सर्वत्र तस्माद्भावो हि कारणम्॥* अर्थात काष्ठ, पाषाण और मिट्टी की मूर्तियों में देवता नहीं होते। वे तो मानसिक भावों में ही रहते हैं और भाव ही सर्वोपरि कारण है। भाव मन का धर्म है। मन में ही इसकी उत्पत्ति होती है और मन में ही इसका लय होता है मन से ही शक्तियों का उदय होता है। *इसलिए जिसकी जैसी भावना होती है, वह वैसी ही शक्तियों को प्राप्त करता है, वैसा ही बन जाता है।* स्थूल की गति का कारण सूक्ष्म है। शरीर स्थूल है और भावनाएं सूक्ष्म। जैसी भावना- विचारणा होगी, वैसे ही कार्य में शरीर प्रवृत होगा।भावना का निर्मल, पवित्र, प्रबल और परमार्थमय होना ही आध्यात्मिक क्षेत्र में शक्ति का उर्ध्वपात है।_
वाराहमिहिर वचन
ऋषि चिंतन
उन्नति की ओर बढ़िए
*दिनांक*-14 मई 2023आज खीर का नैवेद्य किसी मंदिर में चढ़ाने ने से दिन भर सफलता प्राप्त होगी।_
आज का मंत्र
।।ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।।
गुरूवाणी
चलो मेरे साथ बढ़ाते कदम
अमृत प्रवाह हो हर कदम
जय निखिलं
जय निखिलं जय निखिलं
जय निखिलं जय निखिलं जय निखिलं
जय निखिलं जय निखिलं जय निखिलं
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*जय निखिलं जय निखिलं जय निखिलं*
*जय निखिलं जय निखिलं जय निखिलं*
आओ चलें श्रीराम की नगरी अयोध्या (उत्तरप्रदेश
परम पूज्य सद्गुरूदेव श्री श्री नन्दकिशोर श्रीमाली जी के सान्निध्य में
_*"कहत गुरु सुनो मेरे शिष्य"*_
हंसा उड़हूं गगन की ओर' बढ़ाओ अपने पंख की ताकत खोल दो अपने मन के बंधन बनना है तुम्हें अद्वितीय
वन्दे गुरो !निखिल ! ते चरणारविन्दम्
वाराहमिहिर वचन
ऋषि चिंतन
उन्नति की ओर बढ़िए
*दिनांक*-14 मई 2023आज खीर का नैवेद्य किसी मंदिर में चढ़ाने ने से दिन भर सफलता प्राप्त होगी।_
आज का मंत्र
।।ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।।
गुरूवाणी
चलो मेरे साथ बढ़ाते कदम
अमृत प्रवाह हो हर कदम
जय निखिलं
जय निखिलं जय निखिलं
जय निखिलं जय निखिलं जय निखिलं
जय निखिलं जय निखिलं जय निखिलं
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*ॐ जय निखिलं जय निखिलं ॐ*
*जय निखिलं जय निखिलं जय निखिलं*
*जय निखिलं जय निखिलं जय निखिलं*
आओ चलें श्रीराम की नगरी अयोध्या (उत्तरप्रदेश
परम पूज्य सद्गुरूदेव श्री श्री नन्दकिशोर श्रीमाली जी के सान्निध्य में
_*"कहत गुरु सुनो मेरे शिष्य"*_
हंसा उड़हूं गगन की ओर' बढ़ाओ अपने पंख की ताकत खोल दो अपने मन के बंधन बनना है तुम्हें अद्वितीय
वन्दे गुरो !निखिल ! ते चरणारविन्दम्
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