Agniwas Ka Arth Kya Hai | अग्निवास
Agniwas Ka Arth Kya Hai |
कहते है अग्नि का वास हर दिन अगल अलग होता है...किसी दिन वो पाताल में होती है.
किसी दिन आकाश में ओर किसी दिन पृथ्वी पे होता है
तो पहले समझते है कैसे हम गणना करते है कि आज अग्निवास कहा है??
अग्नि वास देखने की विधि सबसे पहले गणना के लिए ध्यान रखना है
कि रविवार को 1 तथा शनिवार को 7 संख्या मानकर वार गिने जायेंगे
शुक्लपक्ष प्रतिपदा तिथि को 1 तथा अमावस्या को 30 मानकर गणना होगी
अब जिस दिन हवन करना हो उसी दिन की तिथि एवं वार की संख्या जोड़कर जो संख्या प्राप्त होगी उसमे 1(+) जोड़ें
तत्पश्चात 4 से भाग(divide) करें
यदि कुछ भी शेष न रहे अर्थात 0 आये संख्या पूरी भाग हो जाये तो अग्नि का वास पृथ्वी पर जाने.....इसके अलावा शेष 3 भी आये तो अग्निवास पृथ्वी पे माना जायेगा
यदि 1 शेष बचे तो अग्नि का वास आकाश में जाने
यदि 2 शेष बचे तो अग्नि वास पाताल में जाने
यदि अग्नि वास पृथ्वी पर है तो सुखकारक धनदायक है इस दिन हवन करने से लाभ मिलता है
यदि आकाश में है
तो यजमान की प्राण की हानि होती है
यदि पाताल में है तो धनहानि कारक होता है
इसलिए कुछ लोगो ने कहा है अग्निवास देख कर हवन करें
अब बात आती है कि क्या अग्निवास इतना जरूरी है ओर क्या हमें इसे ध्यान में रख कर ही हवन करना है
तो मेरा जवाब है बिल्कुल नही
ये अग्निवास इसी तरह शिव वास...ऐसे अनेकों वास सिर्फ आपको भरमाने के लिए बनाए गए है
काहे की अगर आप डरोगे नही सब कुछ खुद से करने लोगेगेm तो ऐसे डराने वाले लोगो का धंधा कैसे चलेगा.
तो उनकी पूछ बनी रही इसलिए नानां प्रकार के प्रपंच समाज मे फैला दिए गए है
अग्निवास देखो शिववास देखो. तो फलाना ढिमका.
अगर ऐसा ही अग्निवास इतना ही महत्वपूर्ण होता तो किसी वेद में किसी पुराण में इसका जिक्र क्यों ना है
सद्गुरुदेब निखिल ने कभी इसका जिक्र क्यों नही किया.....हवन विधान पुस्तक में इसके विषय मे एक शब्द नही लिखा.
क्योकि ये है ही सिर्फ एक ढोंग जो डराने के लिए बनाया गया है
इसलिए जिस दिन दिल करे बेफिक्र हो के अपने इष्ट गुरु इत्यादि का हवन कीजिये.
ओर समय निकाल के वेद पुराणों .नही होता है तो सद्गुरुदेब निखिल की ऑडियो वीडियो सुनिए
जिससे कोई भी आपको मूर्ख ना बना पाए.
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